एक औसत व्यक्ति की यदि त्वचा की नाप ली जाये तो बीस वर्ग फुट यानी दो फुट चौड़ी और दस फुट लम्बी पाई जायेगी। आपकी त्वचा के प्रत्येक वर्ग इंच में 95 तैल ग्रन्थियां (अधिकांश आपके चहरे और कंधों पर), 600 स्वेद ग्रन्थियां, 60 बाल, 25 गज नब्ज (तंत्रिका के सिरे जिनसे दबाव, दर्द, गर्मी और आनन्द का एहसास होता है) और 250 इंच रक्त नलिकाए पाई जाती हैं ।
हमारी त्वचा तीन परतों में विभाजित रहती है :
1. एपिडर्मिस
2. डर्मिस
3. चर्बी
1. एपिडर्मिस (Epidermis): यह सबसे ऊपरी सतह होती है। यही हमें दिआपकी त्वचा व उसकी सफाईखती है और इसे हम छू सकते हैं। वास्तव में यह मृत त्वचा कोषों की ही पर्त होती है, जो लगातार झड़ती रहती है और इसी के ठीक नीचे से नयी त्वचा उगकर इसका स्थान लेती रहती है।
2. डर्मिस (Dermis) : एपिडर्मिस के नीचे डर्मिस त्वचा होती है। यह लचीले कोषों, स्वेद ग्रन्थियों, रक्त नलिकाओं, तंतुओं से भरी रहती है। डर्मिस में बालों के रोमकूप भी होते हैं।
3. चर्बी या Hypodermis: यह पर्त चर्बी की गद्दी-सी होती है।
ऊपरी त्वचा अनेक प्रहारों से हमारी रक्षा करती है। इसके ऊपर प्राकृतिक त्वचा तेल (एसिड मेंटल) की एक पर्त भी रहती है। यह ऊपरी त्वचा ही हानिकारक बैक्टीरिया के आक्रमण से शरीर को बचाती है और इसका प्राकृतिक तेल इसके भीतर निहित तरल या पौष्टिक तत्वों को बाहर निकलने से रोकता है। अधिक रगड़कर या गलत तरीके से त्वचा को धोने से यह प्राकृतिक तेल भी नष्ट हो जाता है और त्वचा रूखी हो जाती है। गलत साबुन के प्रयोग से त्वचा सूखी हो जाती है।
त्वचा के ‘एसिड मेंटल’ यानि प्राकृतिक तेल को नष्ट नहीं होने देना चाहिए, इसलिए सफाई के लिए उचित साबुन व क्लीन्जर का प्रयोग ही करें यदि नहाने के बाद आपकी त्वचा कसी या रूखी-सी लगे तो समझिये कि आपने जरूरत से ज्यादा ही सफाई कर डाली है। त्वचा तीन प्रकार की होती है और उसके अनुसार ही सफाई के माध्यम का प्रयोग करना चाहिए।
1. सामान्य त्वचा: ऐसी त्वचा के लिए एकदम सादा साबुन जिनमें न सुगंध हो और न रंग हो इस्तेमाल कर सकें तो बेहतर होगा। मेकअप छुड़ाना हो। तो धोने के बजाय कोल्डक्रीम, तेल या क्लीन्जर का प्रयोग करें और तब चेहरा धोयें। धोने के लिए मीठे (सामान्य) पानी का प्रयोग करें।
2. सूखी त्वचा: इस त्वचा के लिए बहुत साफ्ट साबुन का प्रयोग करें और फिर भली प्रकार धो डालें। त्वचा पर साबुन तनिक भी लगा न रहने दें। बेहतर होगा कि आप साबुन की जगह उबटन का प्रयोग करें।
3. तैलीय त्वचा: इस प्रकार की त्वचा को बार-बार धोना तो चाहिए, लेकिन बहुत सावधानी से। ऐसा न हो कि तैलीयता को धोने के चक्कर में आप त्वचा के ‘एसिड मेंटल’ को ही धो डालें और त्वचा एकदम रूखी हो जाये। इसके कारण रोमछिद्र भी अधिक खुल जाते हैं और इनके कारण त्वचा अधिक रूखी तथा खुरदुरी नजर आती है।
अपनी त्वचा की सफाई नियमित रूप से इस प्रकार करें।
- दिन में कम से कम दो बार चेहरा व गर्दन धोयें।
- हो सके नियमित शेम्पू करें क्योंकि बाल साफ रहेंगे तो चेहरे पर एक्ने व अन्य गड़बड़ियां न पैदा हो सकेंगी।
- सॉफ्ट साबुन व क्लीन्जर का प्रयोग करें।
- चेहरे के साथ-साथ कंधे व पीठ भी धोयें।
- यदि चेहरे पर कोई दाना मुंहासा या ‘ब्लैकहैड’ निकल आये तो उसे न नोचे।
स्किन में होने वाले सामान्य रोग जिनसे बचा जा सकता है –
सैबोरिया (Seborrheic Dermatitis): जब त्वचा अधिक तैलीय हो तो उस पर मृतकोष खूब जमा हो गये हों और उन्हें सफाई द्वारा साफ न किया गया हो तो त्वचा का यह रोग पैदा हो सकता है। इसके लिए आवश्यकता है कि त्वचा की सफाई के लिए औषधियुक्त साबुन तथा शैम्पू का प्रयोग करें। बालों को प्रतिदिन धोयें और मेकअप ऐसा करें कि ‘हेयर-लाइन’ से वह दूर रहे।
एग्जिमा (Eczema): इस रोग में त्वचा लाल हो जाती है उस पर पपड़ियाँ जम जाती हैं। त्वचा पूरी तरह खुजलाने लगती है। तेज ‘अल्कली’ तथा रसायनयुक्त साबुन के लगातार प्रयोग से एग्जिमा हो सकता है। एग्जिमा से बचाव के लिए तथा इसके हो जाने पर बहुत ही मृदु साबुन का प्रयोग करें और धोने के बाद कोई अच्छी औषधियुक्त क्रीम लगायें। ऐसा करने पर ही पपड़ी छूटकर त्वचा ठीक होने लगेगी।
जेरोसिस: जब त्वचा असामान्य रूप से सूख जाये तथा कागज की तरह महसूस हो तथा इसमें खुज़ली हो तो यह ‘जेरोसिस’ के लक्षण हैं। इसके लिए ऐसे साबुन या क्लीन्जर का प्रयोग करें जो त्वचा को चिकनाई प्रदान करे और धोने के बाद उस पर किसी वनस्पति तेल जैसे ‘कैस्टर ऑयल’ या किसी खनिज तेल की एक पर्त अवश्य लगायें। बहुत हैवी क्रीम लगाने से कोई फायदा न होगा।
सोरियासिस (Psoriasis): यह एक क्रॉनिक (पुरानी) बीमारी है और इसका विशिष्ट उपचार ही होना चाहिए। इसके लिए औषधियुक्त साबुन का प्रयोग करें। इस रोग में त्वचा का वह विशिष्ट हिस्सा सदैव कड़ी पपड़ी से ढका रहता है। इस त्वचा रोग के प्रति लापरवाही न बरतें ।